27 May 2025 Current Affairs ( Weekly Current Affairs)
डोनाल्ड ट्रंप द्वारा प्रस्तावित “गोल्डन डोम” (Golden Dome) मिसाइल रक्षा प्रणाली अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से एक महत्वाकांक्षी परियोजना है। इस प्रणाली का उद्देश्य अंतरिक्ष में आधारित हथियारों के माध्यम से बैलिस्टिक, हाइपरसोनिक और क्रूज़ मिसाइलों से रक्षा करना है। इस योजना की लागत लगभग $175 बिलियन आंकी गई है, और इसे 2029 तक पूर्ण रूप से क्रियान्वित करने का लक्ष्य है ।
गोल्डन डोम की प्रमुख विशेषताएं
- अंतरिक्ष आधारित रक्षा प्रणाली: यह प्रणाली सैकड़ों उपग्रहों के नेटवर्क पर आधारित होगी, जो मिसाइलों के प्रक्षेपण का पता लगाकर उन्हें अंतरिक्ष में ही नष्ट कर देगी ।
- प्रेरणा स्रोत: यह परियोजना आंशिक रूप से इज़राइल की “आयरन डोम” प्रणाली से प्रेरित है, लेकिन इसका दायरा और तकनीकी जटिलता कहीं अधिक है ।
- नेतृत्व: अमेरिकी स्पेस फोर्स के जनरल माइकल गेटलाइन को इस परियोजना का नेतृत्व सौंपा गया है ।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएं
- उत्तर कोरिया: उत्तर कोरिया ने इस योजना की कड़ी आलोचना करते हुए इसे “अंतरिक्ष में परमाणु युद्ध की स्थिति” करार दिया है और इसे वैश्विक सुरक्षा के लिए खतरा बताया है ।
- चीन: चीन ने भी इस परियोजना पर गंभीर चिंता व्यक्त की है और अमेरिका से इसके विकास को रोकने का आग्रह किया है, यह कहते हुए कि यह बाह्य अंतरिक्ष के शांतिपूर्ण उपयोग के सिद्धांत का उल्लंघन करता है ।
संभावित चुनौतियाँ
- तकनीकी और वित्तीय जटिलताएं: विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रणाली का विकास अत्यंत जटिल और महंगा होगा, और इसकी सफलता अनिश्चित है ।
- राजनीतिक विवाद: इस परियोजना में एलन मस्क की कंपनियों की संभावित भागीदारी को लेकर राजनीतिक विवाद उत्पन्न हो गए हैं, जिससे पारदर्शिता और हितों के टकराव की चिंताएं बढ़ गई हैं ।
निष्कर्ष
गोल्डन डोम परियोजना अमेरिका की रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने की दिशा में एक बड़ा कदम है, लेकिन इसकी तकनीकी, वित्तीय और राजनीतिक चुनौतियों को देखते हुए इसका सफल क्रियान्वयन एक कठिन कार्य होगा। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इस परियोजना को लेकर गंभीर चिंताएं व्यक्त की गई हैं, जो वैश्विक सुरक्षा और बाह्य अंतरिक्ष के शांतिपूर्ण उपयोग के सिद्धांतों पर प्रभाव डाल सकती हैं।
📌 साइबरबुलिंग (Cyberbullying)
- परिभाषा: जब किसी व्यक्ति को इंटरनेट, सोशल मीडिया, मैसेज या ईमेल के माध्यम से बार-बार धमकाया, अपमानित या परेशान किया जाता है।
- उदाहरण: किसी छात्र को उसके रूप-रंग, जाति या लिंग को लेकर स्कूल ग्रुप में लगातार अपशब्द कहना।
- प्रभाव:
- मानसिक तनाव और अवसाद
- आत्महत्या की प्रवृत्ति
- कानूनी उपाय:
- IT Act की धारा 66A (अब रद्द), IPC की धारा 506 (आपराधिक धमकी), और POSCO कानून (यदि पीड़ित बच्चा हो)
📌 साइबरस्टॉकिंग (Cyberstalking)
- परिभाषा: किसी व्यक्ति को लगातार ऑनलाइन ट्रैक करना, उस पर नजर रखना, उसका पीछा करना, और उसे डराना।
- उदाहरण: किसी महिला के सोशल मीडिया अकाउंट पर लगातार अनचाहे मैसेज भेजना, उसकी लोकेशन ट्रैक करना।
- प्रभाव:
- निजता का उल्लंघन
- असुरक्षा और मानसिक उत्पीड़न
- कानूनी उपाय:
- IPC की धारा 354D: महिला को ऑनलाइन पीछा करना अपराध है।
📌 ट्रोलिंग (Trolling)
- परिभाषा: जानबूझकर इंटरनेट पर भड़काऊ, अपमानजनक या उकसाने वाली टिप्पणी करना ताकि भावनात्मक प्रतिक्रिया ली जा सके।
- उदाहरण: किसी नेता या सेलिब्रिटी के ट्वीट पर अपमानजनक या भड़काऊ कमेंट्स करना।
- प्रभाव:
- ऑनलाइन बदनामी
- सामाजिक तनाव और ध्रुवीकरण
- कानूनी उपाय:
- IPC धारा 504, 505 (शांति भंग करने वाली बातें), IT Act की संबंधित धाराएं।
📌 डॉक्सिंग (Doxxing)
- परिभाषा: किसी व्यक्ति की निजी जानकारी (जैसे पता, फोन नंबर, बैंक डिटेल्स) को उसकी अनुमति के बिना इंटरनेट पर सार्वजनिक करना।
- उदाहरण: किसी राजनीतिक कार्यकर्ता का घर का पता और परिवार की जानकारी ट्विटर पर डालना।
- प्रभाव:
- निजता का हनन
- जान-माल की सुरक्षा को खतरा
- कानूनी उपाय:
- IT Act की धारा 66E (गोपनीयता का उल्लंघन), IPC की धारा 507 (गुमनाम धमकी)
📌 कैटफिशिंग (Catfishing)
- परिभाषा: जब कोई व्यक्ति नकली पहचान (फोटो, प्रोफाइल) का उपयोग करके किसी को धोखे में रखता है, खासकर भावनात्मक या आर्थिक लाभ के लिए।
- उदाहरण: किसी युवक को लड़की बनकर दोस्ती करना और बाद में पैसे ठगना।
- प्रभाव:
- भावनात्मक धोखा और वित्तीय नुकसान
- साइबर ठगी का शिकार बनना
- कानूनी उपाय:
- IPC धारा 419 (जालसाजी), IT Act की धारा 66D (साइबर धोखाधड़ी)
🔚 निष्कर्ष:
साइबर अपराध इंटरनेट की बढ़ती पहुंच के साथ आम होते जा रहे हैं। इनके शिकार बनने से रोकने के लिए:
- साइबर जागरूकता आवश्यक है,
- सुरक्षित पासवर्ड और गोपनीयता सेटिंग्स का उपयोग करें,
- और कानूनी सहायता लेने में हिचकिचाएं नहीं।
हरियाणा की यूट्यूबर और ट्रैवल व्लॉगर ज्योति रानी (उर्फ ज्योति मल्होत्रा) को पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। उन पर आधिकारिक गुप्त अधिनियम (Official Secrets Act) और भारतीय न्याय संहिता (Bharatiya Nyaya Sanhita) की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। यह मामला राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा हुआ है और सोशल मीडिया के माध्यम से जासूसी गतिविधियों के संभावित दुरुपयोग को उजागर करता है।
📌 आरोपों का सारांश
- गिरफ्तारी की तारीख: 16 मई 2025
- स्थान: हिसार, हरियाणा
- उम्र: 33 वर्ष
- यूट्यूब चैनल: Travel with JO (3.77 लाख से अधिक सब्सक्राइबर)
- मुख्य आरोप:
- पाकिस्तान उच्चायोग के अधिकारी “दानिश” (असली नाम एहसान-उर-रहीम) से संपर्क में रहना
- पाकिस्तान की यात्रा के दौरान पाकिस्तानी खुफिया अधिकारियों से मिलना
- संवेदनशील जानकारी साझा करना और पाकिस्तान की सकारात्मक छवि प्रस्तुत करने के लिए निर्देशित होना
⚖️ कानूनी धाराएं
- Official Secrets Act, 1923:
- धारा 3: राज्य की सुरक्षा के लिए हानिकारक गतिविधियों में संलिप्तता, जैसे प्रतिबंधित स्थानों का निरीक्षण या संवेदनशील जानकारी एकत्र करना।
- धारा 5: गोपनीय जानकारी का गलत संचार या लापरवाही से लीक होना।
- सजा: 14 वर्षों तक की कैद (धारा 3) और 3 वर्षों तक की कैद या जुर्माना (धारा 5)
- भारतीय न्याय संहिता (Bharatiya Nyaya Sanhita), धारा 152:
- भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कार्यों के लिए।
- सजा: 7 वर्षों तक की कैद या आजीवन कारावास, साथ ही जुर्माना।
🔍 जांच की स्थिति
- डिजिटल साक्ष्य: ज्योति के 5 मोबाइल फोन और 1 लैपटॉप से 13 टेराबाइट डेटा जब्त किया गया है, जिसकी फॉरेंसिक जांच जारी है।
- वित्तीय लेन-देन: उनके बैंक खातों और लेन-देन की जांच की जा रही है।
- अन्य संदिग्ध संपर्क: पाकिस्तानी अधिकारियों के साथ नियमित संपर्क और पाकिस्तान की यात्रा के दौरान उच्च-प्रोफ़ाइल व्यक्तियों से मुलाकात की पुष्टि हुई है।
- सुरक्षा एजेंसियों की भागीदारी: राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA), सैन्य खुफिया (MI) और खुफिया ब्यूरो (IB) इस मामले की जांच में शामिल हैं।
🧾 पृष्ठभूमि
- व्यक्तिगत जानकारी: ज्योति मल्होत्रा, हिसार की निवासी हैं और उनके पिता हरियाणा बिजली बोर्ड से सेवानिवृत्त कर्मचारी हैं।
- पेशेवर पृष्ठभूमि: कोविड-19 महामारी के दौरान उन्होंने अपनी नौकरी छोड़कर ट्रैवल व्लॉगिंग शुरू की।
- यात्रा इतिहास: उन्होंने पाकिस्तान, चीन, नेपाल, थाईलैंड और इंडोनेशिया की यात्रा की है।
📌 निष्कर्ष
ज्योति मल्होत्रा का मामला यह दर्शाता है कि कैसे सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग राष्ट्रीय सुरक्षा के खिलाफ किया जा सकता है। यह घटना ऑनलाइन सामग्री निर्माताओं और प्रभावितों के लिए एक चेतावनी है कि वे अपने संपर्कों और साझा की जाने वाली जानकारी के प्रति सतर्क रहें। सुरक्षा एजेंसियां इस मामले की गहन जांच कर रही हैं, और यह मामला आने वाले समय में डिजिटल सुरक्षा और सोशल मीडिया की निगरानी के लिए महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश प्रदान कर सकता है।
📌 ISRO का 101वां उपग्रह प्रक्षेपण: विफलता का विश्लेषण
🛰️ मिशन का परिचय:
- प्रक्षेपण यान: PSLV-C39 (Polar Satellite Launch Vehicle)
- उपग्रह: IRNSS-1H (Indian Regional Navigation Satellite System)
- तारीख: 31 अगस्त 2017
- स्थान: सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा
🎯 मिशन का उद्देश्य:
- IRNSS-1A के तीन असफल परमाणु घड़ियों की भरपाई के लिए यह उपग्रह भेजा गया था।
- इसका मकसद भारत के स्वदेशी नेविगेशन सिस्टम ‘NavIC’ की क्षमता को बनाए रखना था।
⚠️ विफलता का कारण:
- हीट शील्ड (Heat Shield) का अलग न हो पाना: PSLV रॉकेट के चौथे चरण में हीट शील्ड अलग नहीं हो सकी, जिसके कारण सैटेलाइट निर्धारित कक्षा में स्थापित नहीं हो सका।
- इसरो ने कहा, “मिशन तकनीकी रूप से पूरी तरह सफल था, लेकिन हीट शील्ड न हट पाने के कारण यह कार्यात्मक रूप से विफल रहा।”
🛑 तकनीकी विवरण:
- Payload Separation Failure: सैटेलाइट रॉकेट के अंदर ही फंसा रह गया।
- वजन: 1425 किलोग्राम
- कक्षा: उपग्रह को सब-जीओसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट में भेजा जाना था।
🔍 जांच और सुधार:
- ISRO ने स्वतंत्र जांच समिति गठित की।
- भविष्य के मिशनों में हीट शील्ड मैकेनिज्म को दोबारा डिज़ाइन किया गया।
- बाद में IRNSS-1I उपग्रह के सफल प्रक्षेपण (12 अप्रैल 2018) से NavIC प्रणाली को पुनर्स्थापित किया गया।
🇮🇳 राष्ट्र पर प्रभाव:
- देश की आत्मनिर्भर नेविगेशन प्रणाली को झटका।
- लेकिन ISRO ने पारदर्शिता बरती और यह दिखाया कि वैज्ञानिक विफलता से सीखते हैं।
📌 निष्कर्ष:
यह मिशन भले ही आंशिक रूप से विफल रहा, लेकिन ISRO की जिम्मेदार कार्यप्रणाली और तेज़ी से सुधार की क्षमता ने इसे एक महत्वपूर्ण सीख बना दिया। इसरो ने इसे अपनी कार्यप्रणाली में सुधार और नवाचार का अवसर माना।
ISRO का 101वां उपग्रह प्रक्षेपण विफल: PSLV-C61 मिशन में तीसरे चरण की तकनीकी खामी
18 मई 2025 को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अपना 101वां उपग्रह प्रक्षेपण मिशन PSLV-C61 के माध्यम से EOS-09 (RISAT-1B) उपग्रह को सूर्य समकालिक ध्रुवीय कक्षा में स्थापित करने का प्रयास किया। हालांकि, प्रक्षेपण के दौरान तीसरे चरण में आई तकनीकी खामी के कारण मिशन विफल रहा।
🚀 मिशन का विवरण
- प्रक्षेपण यान: PSLV-C61 (XL संस्करण)
- उपग्रह: EOS-09 (RISAT-1B)
- प्रक्षेपण स्थल: सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा
- प्रक्षेपण समय: 18 मई 2025, सुबह 5:59 बजे
- उद्देश्य: सभी मौसमों में पृथ्वी की निगरानी के लिए C-बैंड सिंथेटिक एपर्चर रडार (SAR) से सुसज्जित उपग्रह को कक्षा में स्थापित करना
⚠️ विफलता का कारण
ISRO के अनुसार, PSLV-C61 के पहले और दूसरे चरणों ने सामान्य रूप से कार्य किया। हालांकि, तीसरे चरण के संचालन के दौरान एक अनियमितता देखी गई, जिससे मिशन पूरा नहीं हो सका। ISRO अध्यक्ष वी. नारायणन ने बताया कि तीसरे चरण के मोटर ने सही ढंग से शुरुआत की, लेकिन इसके संचालन के दौरान एक समस्या उत्पन्न हुई, जिसके कारण मिशन को पूरा नहीं किया जा सका ।
🔍 जांच और आगे की कार्रवाई
ISRO ने इस विफलता के कारणों की जांच के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया है, जो तीसरे चरण में आई तकनीकी खामी का विस्तृत विश्लेषण करेगी । समिति के निष्कर्षों के आधार पर भविष्य के मिशनों के लिए सुधारात्मक कदम उठाए जाएंगे।
🌐 EOS-09 उपग्रह का महत्व
EOS-09 उपग्रह को सभी मौसमों में, दिन और रात के दौरान, पृथ्वी की उच्च-रिज़ॉल्यूशन छवियों को प्राप्त करने के लिए डिज़ाइन किया गया था। इसकी क्षमताएं कृषि, वन निगरानी, आपदा प्रबंधन, शहरी नियोजन और राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान देतीं।
📊 PSLV की विश्वसनीयता पर प्रभाव
PSLV को ISRO का “वर्कहॉर्स” माना जाता है, जिसने 1993 से अब तक 63 उड़ानों में से केवल तीन बार विफलता का सामना किया है। इस विफलता के बावजूद, PSLV की सफलता दर उच्च बनी हुई है, और ISRO भविष्य में इसकी विश्वसनीयता को और मजबूत करने के लिए आवश्यक कदम उठा रहा है।
PSLV (Polar Satellite Launch Vehicle) को चार प्रमुख चरणों (Stages) में विभाजित किया गया है। यह इसरो का सबसे विश्वसनीय रॉकेट है जो उपग्रहों को ध्रुवीय कक्षा और अन्य कक्षाओं में स्थापित करता है।
🚀 PSLV के चार चरण (4 Stages) – हिंदी में विवरण
1️⃣ पहला चरण (First Stage – PS1):
- प्रकार: ठोस ईंधन (Solid Propellant)
- ईंधन: Hydroxyl-Terminated Polybutadiene (HTPB) आधारित ठोस रॉकेट
- सहायक बूस्टर (Strap-ons):
- PSLV की कुछ संस्करणों (जैसे PSLV-XL) में 6 बूस्टर होते हैं
- कार्य: सबसे बड़ी गति उत्पन्न करता है और रॉकेट को प्रारंभिक ऊँचाई तक पहुंचाता है
2️⃣ दूसरा चरण (Second Stage – PS2):
- प्रकार: तरल ईंधन (Liquid Propellant)
- ईंधन:
- UDMH (Unsymmetrical Dimethylhydrazine)
- N2O4 (Nitrogen Tetroxide)
- इंजन: Vikas इंजन
- कार्य: रॉकेट को और ऊँचाई और गति प्रदान करता है
3️⃣ तीसरा चरण (Third Stage – PS3):
- प्रकार: ठोस ईंधन (Solid Propellant)
- ईंधन: HTPB आधारित ठोस ईंधन
- कार्य: ऊपरी वायुमंडल में प्रवेश के दौरान स्थिरता और गति बनाए रखना
4️⃣ चौथा चरण (Fourth Stage – PS4):
- प्रकार: तरल ईंधन (Liquid Propellant)
- ईंधन:
- MMH (Monomethylhydrazine)
- MON (Mixed Oxides of Nitrogen)
- इंजन: दो इंजन
- कार्य: उपग्रह को सटीक कक्षा में स्थापित करना
✅ निष्कर्ष
चरण | प्रकार | ईंधन | उद्देश्य |
---|---|---|---|
पहला चरण | ठोस | HTPB | प्रारंभिक गति और ऊंचाई |
दूसरा चरण | तरल | UDMH + N2O4 | आगे की गति और ऊंचाई |
तीसरा चरण | ठोस | HTPB | ऊपरी वायुमंडल की स्थिरता |
चौथा चरण | तरल | MMH + MON | उपग्रह को सटीक कक्षा में स्थापित करना |
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए केंद्र सरकार को ₹2.69 लाख करोड़ का रिकॉर्ड ‘सरप्लस’ (अधिशेष) ट्रांसफर किया है। यह राशि पिछले वर्ष के ₹2.11 लाख करोड़ से 27% अधिक है और सरकार के बजट अनुमान ₹2.56 लाख करोड़ से भी अधिक है।
🔍 यह सरप्लस क्या है?
RBI का सरप्लस वह अतिरिक्त आय है जो बैंक अपनी संचालन लागत, जोखिम प्रावधान और अन्य खर्चों को घटाने के बाद अर्जित करता है। यह राशि केंद्र सरकार को ट्रांसफर की जाती है, जिससे सरकार को अपने राजकोषीय घाटे को कम करने और विभिन्न योजनाओं के लिए वित्तीय सहायता मिलती है।
📈 इतनी बड़ी राशि कैसे संभव हुई?
1. विदेशी मुद्रा से आय:
RBI ने वित्त वर्ष 2024-25 में $399 बिलियन की डॉलर बिक्री की, जिससे विदेशी मुद्रा से महत्वपूर्ण लाभ हुआ।
2. ब्याज आय में वृद्धि:
घरेलू और विदेशी प्रतिभूतियों पर ब्याज आय में वृद्धि हुई, जिससे कुल आय में इजाफा हुआ।
3. आर्थिक पूंजी ढांचा (ECF) में संशोधन:
RBI ने अपने ‘कॉन्टिंजेंसी रिस्क बफर’ (CRB) को 6.5% से बढ़ाकर 7.5% कर दिया, जिससे भविष्य के जोखिमों के लिए अधिक प्रावधान सुनिश्चित हुआ।
🧾 सरकार के लिए लाभ
- राजकोषीय घाटे में कमी: सरकार का राजकोषीय घाटा 4.4% से घटकर 4.2% हो सकता है।
- अतिरिक्त व्यय की संभावना: सरकार के पास ₹70,000 करोड़ तक की अतिरिक्त व्यय क्षमता हो सकती है।
- ब्याज दरों में संभावित कमी: बाजार में तरलता बढ़ने से ब्याज दरों में कमी आ सकती है।
📊 तुलनात्मक आंकड़े
वित्त वर्ष | सरप्लस ट्रांसफर (₹ करोड़ में) |
---|---|
2022-23 | ₹87,416 करोड़ |
2023-24 | ₹2,11,000 करोड़ |
2024-25 | ₹2,68,590 करोड़ |
🔚 निष्कर्ष
RBI का यह रिकॉर्ड सरप्लस ट्रांसफर सरकार के लिए वित्तीय दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। यह न केवल राजकोषीय घाटे को कम करने में मदद करेगा, बल्कि आर्थिक विकास को भी प्रोत्साहित करेगा।
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत की स्वदेशी आकाश मिसाइल प्रणाली ने पाकिस्तान के हवाई हमलों को नाकाम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस प्रणाली ने पाकिस्तान द्वारा 15 भारतीय शहरों पर किए गए ड्रोन और मिसाइल हमलों को विफल कर दिया, जिससे भारत की वायु रक्षा क्षमता का प्रदर्शन हुआ।
🔰 आकाश मिसाइल प्रणाली: एक परिचय
- विकासकर्ता: रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO)
- प्रकार: मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली
- रेंज: 25-30 किलोमीटर
- लक्ष्य: फाइटर जेट्स, ड्रोन, क्रूज मिसाइलें
- मार्गदर्शन प्रणाली: रडार-आधारित कमांड गाइडेंस
- सटीकता: 90% से अधिक
- तैनाती: मोबाइल लॉन्चर, जो इसे लचीलापन प्रदान करता है
🛡️ ऑपरेशन सिंदूर में आकाश की भूमिका
8 मई 2025 को पाकिस्तान ने भारत के 15 शहरों में सैन्य ठिकानों पर ड्रोन और मिसाइल हमले की योजना बनाई थी। भारतीय सेना की आकाश, MRSAM, Zu-23, L-70, और शिल्का जैसी उन्नत वायु रक्षा प्रणालियों ने इन हमलों को पूरी तरह नाकाम कर दिया। आकाश मिसाइल प्रणाली ने श्रीनगर की ओर बढ़ रहे एक पाकिस्तानी JF-17 जेट को नष्ट किया और ड्रोनों तथा मिसाइलों को ट्रैक और नष्ट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
🛰️ आकाशतीर प्रणाली: एक नया आयाम
आकाशतीर, एक स्वदेशी निर्मित एयर डिफेंस कंट्रोल और रिपोर्टिंग सिस्टम है, जिसने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान की ओर से दागे गए सभी मिसाइल और सैकड़ों ड्रोन को रोक दिया। यह प्रणाली रडार सिस्टम, सेंसर और कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी को एक ही ऑपरेशनल फ्रेमवर्क में समाहित करती है, जिससे समन्वित एयर डिफेंस ऑपरेशन करना आसान हो जाता है।
📈 आर्थिक प्रभाव
आकाश मिसाइल प्रणाली की सफलता के बाद, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) और भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (BDL) के शेयरों में जबरदस्त उछाल देखा गया। BDL के शेयर लगभग 9.73% चढ़कर 1,595 रुपये के स्तर तक पहुंच गए, जबकि BEL के शेयरों में 4.88% की तेजी आई।
🔚 निष्कर्ष
आकाश मिसाइल प्रणाली और आकाशतीर जैसे स्वदेशी रक्षा प्रणालियों ने भारत की वायु रक्षा क्षमता को सुदृढ़ किया है। इन प्रणालियों की सफलता ने न केवल पाकिस्तान के हवाई हमलों को नाकाम किया, बल्कि भारत की आत्मनिर्भरता और तकनीकी श्रेष्ठता को भी प्रदर्शित किया है।