स्थापना और उद्देश्य: अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) की स्थापना 1919 में हुई थी, इसका मुख्य उद्देश्य श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा, नियोक्ताओं और श्रमिकों के बीच संवाद स्थापित करना और सामाजिक न्याय प्रोत्साहित करना है।
त्रिपक्षीय संगठन: ILO एक अनूठा त्रिपक्षीय संगठन है जिसमें सरकारें, नियोक्ता और श्रमिक संगठन शामिल हैं, जो श्रम संबंधित मानकों और नीतियों पर चर्चा और निर्णय लेते हैं।
मानक निर्धारण: ILO वैश्विक श्रम मानकों का निर्धारण करता है जो श्रमिकों के अधिकारों, काम के घंटों, वेतन, सुरक्षा, स्वास्थ्य और बच्चों के श्रम पर लागू होते हैं।
अंतर्राष्ट्रीय श्रम सम्मेलन: ILO प्रति वर्ष अंतर्राष्ट्रीय श्रम सम्मेलन आयोजित करता है, जहाँ सदस्य देश श्रम संबंधित मुद्दों पर चर्चा करते हैं और नीतियाँ बनाते हैं।
श्रमिक अधिकारों का संवर्धन: ILO विश्व भर में श्रमिक अधिकारों का संवर्धन करता है, विशेषकर बाल श्रम, जबरन श्रम और भेदभाव के खिलाफ।
शिक्षा और प्रशिक्षण: ILO श्रमिकों और नियोक्ताओं को शिक्षा और प्रशिक्षण प्रदान करता है, ताकि वे बेहतर रोजगार प्राप्त कर सकें और उत्पादकता में सुधार कर सकें।
श्रम बाजार सूचना: ILO श्रम बाजार के आंकड़े और विश्लेषण प्रदान करता है, जो नीति निर्माताओं और अन्य हितधारकों को श्रम बाजार की बेहतर समझ प्रदान करता है।
अंतरराष्ट्रीय सहयोग: ILO विश्व स्तर पर श्रमिकों और नियोक्ताओं के बीच सहयोग को बढ़ावा देता है और विभिन्न देशों में श्रमिक मुद्दों पर सहयोगात्मक परियोजनाएं चलाता है।
संघर्ष समाधान: ILO श्रम संबंधित विवादों और संघर्षों के समाधान में मदद करता है, ताकि श्रमिक और नियोक्ता के बीच सौहार्दपूर्ण संबंध बन सके।
सतत विकास लक्ष्यों में योगदान: ILO सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) की प्राप्ति में योगदान देता है, विशेषकर रोजगार सृजन, गरीबी उन्मूलन और समानता और सामाजिक न्याय के लक्ष्यों में।